डॉ. प्रेम सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा (बीए ऑनर्स हिंदी, एमए हिंदी, एम.फिल., पीएच.डी.) दिल्ली विश्वविद्यालय से की। उन्होंने वहां लगभग चार दशकों तक पढ़ाया और 2021 में सेवानिवृत्त हुए। वे 1991 से 1994 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला में फ़ेलो रहे और ‘हिंदी और बांग्ला उपन्यास में क्रांति का विचार’ विषय पर शोध-कार्य किया। उन्होंने विल्नियस विश्वविद्यालय, लिथुआनिया और सोफिया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया में अतिथि प्रोफेसर के रूप में अध्यापन किया।
उनकी साहित्यिक आलोचना की 4 पुस्तकें; राजनीतिक कमेंटरी की 7 पुस्तकें; प्रख्यात मराठी लेखक और समाजवादी नेता साने गुरुजी के चयनित लेखन के हिंदी अनुवाद के 2 खंड; 2 कविता संग्रह; 1 कहानी संग्रह प्रकाशित हैं। इंडियन लिटेरेचर, मेनस्ट्रीम वीकली, जनता वीकली, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (EPW), दि रैडिकल ह्यूमनिस्ट, पीयूसीएल बुलेटिन सहित विभिन्न हिंदी/अंग्रेजी पत्रिकाओं/एंथोलॉजी में उनके साहित्यिक आलोचना और राजनीतिक विश्लेषण के कई लेख/समीक्षाएं प्रकाशित हैं। उनके लेख विभिन्न ऑनलाइन पोर्टलों/वेबसाइटों जैसे hastakshep.com, countercurrents.org, counterview.org, Muslimmirror.com, thecitizen.in, thescribe.in, janchowk.com, lohagar.blogspot.com, socialistpartyindia.blogspot.com, sabrangindia.in, lohiatoday.com, theasianindependent.co.uk, samajweekly.com आदि में नियमित प्रकाशित होते हैं। वे पिछले चार दशकों से कई हिंदी और अंग्रेजी दैनिक समाचारपत्रों में समसामयिक विषयों पर नियमित लेखन करते रहे हैं।
उन्होंने 60 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लिया है और पेपर प्रस्तुत किए हैं।
वे EPW की तर्ज पर दिल्ली से प्रकाशित मासिक हिंदी पत्रिका सांचा के सहयोगी संपादक; पूर्व में आचार्य नरेंद्र देव द्वारा संपादित हिंदी पत्रिका संघर्ष के दिल्ली से पुन: प्रकाशित मासिक संस्करण नया संघर्ष के सहायक संपादक; आईआईएएस, शिमला से प्रकाशित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर (आईयूसी) के शोध जर्नल स्टडीज इन हयूमेनिटीज एंड सोशल साईंसिज के संपादकीय बोर्ड के सदस्य,; आईआईएएस, शिमला से प्रकाशित हिंदी शोध जर्नल चेतना : मानव संधान पत्रिका के संपादकीय बोर्ड के सदस्य; दिल्ली से प्रकाशित सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों की मासिक हिंदी पत्रिका सामयिक वार्ता के संपादकीय बोर्ड के सदस्य रहे हैं।
डॉ. प्रेम सिंह अपने कॉलेज के दिनों में समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे और उन्होंने 1995 से 2009 तक समाजवादी जन परिषद और 2011 से अभी तक सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के साथ काम किया। उन्होंने 2009 और 2014 में पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा। गांधी और डॉ. राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण, किशन पटनायक और सच्चिदानंद सिन्हा जैसे समाजवादी विचारकों/नेताओं से प्रेरित डॉ. प्रेम सिंह अपने लेखन और संघर्ष में नव-साम्राज्यवादी-सांप्रदायिक ताकतों, जिन्होंने वर्तमान राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, के गठजोड़ के खिलाफ अपनी अडिगता के लिए जाने जाते हैं। वे अपने लेखन में समग्रता में नव-उदारवाद की आलोचना प्रस्तुत करते हुए वैकल्पिक राजनीति और विकास के विचार को आगे बढ़ाते हैं।
उन्होंने नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, लिथुआनिया, लातविया, फिनलैंड, स्वीडन, पोलैंड, जर्मनी, इंग्लैंड, आयरलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, स्पेन, ग्रीस, बुल्गारिया, हंगरी, इटली, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, रोमानिया, रूस और तुर्की की यात्राएं की हैं।